गुदड़ी के लाल

गुदड़ी के लाल


गुदड़ी के लाल। कायस्थ कुलगौरव परम आदरणीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को श्रद्धा नमन।

शायद वो पहले और आखिरी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सादगी में बिताया।
जिए तो देश के लिए मरे तो देश की खातिर।
त्याग की भावना उनमें कूट कूट कर भरी थी।
जय जवान जय किसान का नारा उन्होंने ही हमें दिया।


उनके बचपन का एक किस्सा याद आता है। वो इलाहबाद के पास संगम के उस तरफ नैनी में रहा करते थे। पढ़ने के लिए इलाहबाद आना पड़ता था, तब संगम पर कोई पुल न था, नाव से ही पार करना पड़ता था। घर में गरीबी इतनी की नाव वाले को देने के लिए १/२ आना भी नहीं होता था। पर धुन के पक्के लाल बहादुर, रोज़ सुबह सर पे कपड़ों और किताबों की गठरी बांध लेते और तैर कर संगम पार करते, और फिर स्कूल के बाद भी ऐसे ही घर वापस जाते। ऐसे थे देश के लाल।
उनकी सारी उमर की कमाई थी 2 जोड़ी कुर्ता और धोती और कुछ किताबें और एक Fiat कार जो उन्होंने किश्तों पे खरीदी थी।
आज के इस दौर में जहां मामूली MLA भी एक वर्ष में ही करोड़ों कमा लेते हैं, ऐसा प्रधानमंत्री शायद ही भारत को मिल पाए।
1965 के युद्ध में उन्होंने देश को सुझाया कि सभी लोग एक समय का खाना छोड़ दें, क्यूंकि देश अकाल और युद्ध की दोहरी मार झेल रहा था, और हमारे सैनिकों के लिए राशन और कपड़े कम पड़ रहे थे। पर ऐसा ऐलान करने से पहले शास्त्री जी ने स्वयं एक वक़्त का भोजन त्यागा और अपना पूरा वेतन दान किया। उन्हीं के आवाहन पर पूरे देश ने एक समय का व्रत रखना शुरू किया और लाखों लोगों ने स्वेटर और कपड़े दान में दिए।

शास्त्री जी ने अपनी मां को नहीं बताया था कि वो रेल मंत्री हैं। कहा था कि "मैं रेलवे में नौकरी करता हूं"। वह एक बार किसी कार्यक्रम में आए थे जब उनकी मां भी वहां पूछते पूछते पहुंची कि मेरा बेटा भी आया है, वह भी रेलवे में है।  लोगों ने पूछा क्या नाम है जब उन्होंने नाम बताया तो सब चौंक गए " बोले यह झूठ बोल रही है"। पर वह बोली, "नहीं वह आए हैं"। लोगों ने उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सामने ले जाकर पूछा," क्या वही है?"  तो मां बोली "हां वह मेरा बेटा है" लोग मंत्री जी से दिखा कर बोले "क्या वह आपकी मां है" तब शास्त्री जी ने अपनी मां को बुला कर अपने पास बिठाया और कुछ देर बाद घर भेज दिया।  तो पत्रकारों ने पूछा "आपने उनके सामने भाषण क्यों नहीं दिया"  तो वह बोले- मेरी मां को नहीं पता कि मैं मंत्री हूं। अगर उन्हें पता चल जाए तो वह लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊंगा।..... और उन्हें अहंकार भी हो जाएगा।  जवाब सुनकर सब सन्न रह गए।

  "कहां गए वो निस्वार्थी ,सच्चे ,ईमानदार लोग" हम सदैव स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को अपना आदर्श मानकर कार्य करते रहेंगे"।  इसलिये  बच्चो को अवश्य बतायें कि 2 अक्टूबर को  चरित्रवान, निष्ठावान और सच्चे देशभक्त एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती है।

आज 2 अक्टूबर का दिन उनका जन्मदिवस है, जो कहीं न कहीं गांधी जी के जन्मदिवस की चमक में धूमिल हो जाता है।

आइए देश के इस महान सपूत को हम अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करें।

जय जवान जय किसान


आभार - नवीन पहल –०२.१०.२०२२🙏🙏🌹




आभार - नवीन पहल - ०२.१०.२०२० 🙏🙏

   16
7 Comments

Bahut khoob likha hai aapne 🌺💐👍

Reply

Gunjan Kamal

05-Oct-2022 06:45 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

Reply

Supriya Pathak

02-Oct-2022 10:52 PM

Bahut khoob 🙏🌺

Reply